अंबेडकर नगर : जिले के महरूवा थाना क्षेत्र के अतरौरा गांव निवासी शिवकुमार निषाद के बेटे अजय निषाद की जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत ने प्रशासन और पुलिस पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अजय के परिवार का आरोप है कि पुलिस और जेल प्रशासन की मिलीभगत से उसकी हत्या की गई है।
क्या था मामला?
परिवार के अनुसार, अजय निषाद सुरक्षा प्रहरी के रूप में कार्यरत था और कभी-कभी पेड़ खरीद-बिक्री का काम भी करता था। 29 मार्च को महरूवा थाने के एक दरोगा और दो पुलिसकर्मी अजय को उसके घर से उठा ले गए। बाद में पता चला कि अजय ने अपने पड़ोसी अनिल की मोबाइल पर बसपा सुप्रीमो मायावती की एक तस्वीर देखकर आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया था। अनिल ने इस बातचीत का ऑडियो वायरल कर दिया और पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। इसके बाद पुलिस ने अजय को धारा 151 के तहत गिरफ्तार कर लिया और एसडीएम भीटी ने उसकी जमानत निरस्त कर जेल भेज दिया।
जेल में संदिग्ध मौत
जेल में अगले ही दिन अजय की तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद उसे जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिजनों का आरोप है कि अजय को जेल में पीटा गया था, जिससे उसके सिर पर गंभीर चोटें आईं और कान से खून बहने लगा।
मामले ने पकड़ा तूल
अजय की मौत की खबर फैलते ही गांव में आक्रोश फैल गया। भाजपा विधायक धर्मराज निषाद, भाजपा जिलाध्यक्ष त्रयंबक तिवारी और अन्य वरिष्ठ नेता पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे और पीड़ित परिवार के लिए 25 लाख रुपये, एक बीघा जमीन, आवास और सरकारी नौकरी की मांग की। समाजवादी पार्टी के नेताओं ने भी प्रशासन से निष्पक्ष जांच और मुआवजे की मांग की।
प्रशासन पर सवाल
परिवार के अनुसार, पुलिस मेडिकल रिपोर्ट में अजय को स्वस्थ दिखाया गया था, लेकिन जेल में उसकी मौत से यह संदेह उत्पन्न होता है कि उसके साथ मारपीट हुई थी। मृतक के चाचा ओमप्रकाश निषाद का कहना है कि जेल ले जाते समय ही पुलिस ने अजय को पीटा था।
न्याय की मांग
गांव के बुजुर्गों और स्थानीय लोगों का कहना है कि महरूवा थानाध्यक्ष और एसडीएम भीटी इस मामले में जिम्मेदार हैं। सीसीटीवी फुटेज और मेडिकल रिपोर्ट की जांच कर प्रशासन को पीड़ित परिवार के आरोपों का जवाब देना चाहिए।
अजय की मौत हत्या थी या स्वाभाविक, यह जांच का विषय है। लेकिन, इस घटना ने प्रशासन और पुलिस पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़ित परिवार और ग्रामीणों ने निष्पक्ष जांच और न्याय की मांग की है।
Edited by Hari Bhan Yadav