आजमगढ़ : ये सरायमीर है इसका नाम प्रदेश देश ही नही बल्कि विदेशों में है ये वही सरायमीर है जिसको देखने के बाद कुछ लोगों ने इसको मिनी दुबई तक नाम रखा था जैसा इसका नाम है वैसा यहां पर कुछ भी नहीं जब हमने सरायमीर से बात करने की कोशिश की इससे कुछ ज़्यादा बात ना हो सकी उसके आंख में आंसू थे और जो कुछ कहा उसने कहा उसके बाद मुझे सवाल करने की हिम्मत नही हुई ।
हमने इस से कहा की कि तू कितनी खुशनसीब है तेरे चर्चे तो पूरी दुनिया में है लेकिन इसका जवाब था किस खुशनसीबी की बात करते हैं मैं तो सिर्फ दूसरे की जरूरत को पूरी करती हूं लेकिन मेरी जरूरत पर किसी का ध्यान ही नहीं जाता ।
मेरे यहां लोग दूर-दूर से मार्केट करने आते हैं लेकिन मैं इतनी बदनसीब हूं कि पूरे जिला में सबसे खराब बिजली मुझे मिलती है मेरी बेबसी देखिए मेरे यहां कोई ऐसा नाला नहीं है जिससे लोगों के पानी पास हो सके मेरे रेलवे स्टेशन को गटर बना दिया गया ।
लोग तो मुझे मिनी दुबई बोलकर खुश हो जाते हैं कोई मुझसे आकर पूछे मेरी हालत क्या है मेरे बच्चों के खेलने के लिए एक मैदान तक नहीं है और लोग मुझे मिनी दुबई कहते हैं मेरे यहां गाड़ी से आने वाले लोगों के लिए एक पार्किंग की जगह तक नहीं और लोग मुझे मिनी दुबई कहते है ।
मेरी चकाचौंध को देखकर हैरत की निगाह से देखने वालों जरा मेरे अंदर झांक कर तो देखो मैं कैसी उजड़ी हुई तस्वीर हूँ ।
मेरे लोग जब कहीं बाहर जाते हैं तो उनको तिरछी निगाहों से देखा जाता है जानते हैं क्यों क्योंकी मेरा बेटा रास्ते से भटक गया था लोग उसको मेरी वजह से पहचानने के बजाय मुझे लोग उसकी वजह से पहचानने लगे तो दुख नहीं होगा मैं तो किसी का बुरा नहीं चाहती मेरे यहां आने वाला खाली वापस नहीं जाता कौन ऐसी चीज है जो मेरे यहां नहीं मिलती मैं अपनी लाचारी और बेबसी को छुपा कर भी लोगों के सामने ऐसे रहती हूं लोग मुझे मिनी दुबई समझते हैं ।
मैं तो इतना हक रखती हूं की बिजली से मेहरून नहीं रखा जाए मेरे बच्चे के लिए खेल का मैदान हो मेरे यहां आने वालों के लिए पार्किंग हो मेरा रेलवे स्टेशन रेलवे स्टेशन ही रहे गटर न रहे लेकिन कौन करेगा किससे कहूं किससे मैं फरियाद करूं लोग धर्म के नाम पर जात के नाम पर मेरा चेयरमैन चुनते हैं काश मैं उनसे कह सकती मेरा चेयरमैन धर्म और जात देखकर तो मत चुनो क्योंकि मैं ही तो हूं जो तुम्हें खुशहाल जिंदगी दे रही हूँ क्या तुम मुझे खुशहाल नहीं बना सकते जब मेरे यहां आए तो देख कर कहने पर मजबूर होजाये सरायमीर को जिसने भी मिनी दुबई कहा था गलत नहीं कहा था ।
मेरा ये पैगाम दोसरो तक पहुंचा देना फिर जल्द बात करूँगी ।
(साभार : आजमगढ़ मेल)