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Tuesday, August 17, 2021

बितरोई स्टेशन फूंकने वाले क्रांतिवीर श्री चौधरी बदन सिंह बदायूंनी को जानिए

 



   शेरों की धरती बदायूं के अग्रणी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे चौधरी बदन सिंह यादव गरम दल के नेताओं में शामिल थे ।उन्होंने अंग्रेजी शासन को चुनौती देने का काम किया था । साथियों की अगुवाई करते हुए उझानी और कछला के बीच स्थित बितरोई रेलवे स्टेशन में आग लगा दी थी । अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें आठ बार जेल में डाला ।


रुहेलखंड के वरिष्ठ इतिहासकार प्रोफेसर गिरिराज नंदन की लिखी पुस्तकों ‘बदायूं दर्शन’ और ‘रुहेलखंड संस्कृति एवं इतिहास’ में जिले के अग्रणी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चौधरी बदन सिंह यादव की वीरता का बखान किया गया है । 

    चौधरी बदन सिंह का जन्म 5 फरवरी, 1893 को सहसवान क्षेत्र के गांव जरीफनगर दुर्गपुर के एक संपन्न यादव खानदान में हुआ । 

बचपन से ही वह क्रांतिकारी विचारों के धनी थे ।

   व्यवहारिक होने के कारण समाज और देश की आजादी के प्रति चिंतित रहते थे ।

     वर्ष 1925 में अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा का उन्हें प्रथम अध्यक्ष बनाया गया । इसके बाद उनकी गिनती देश के गणमान्य लोगों में होने लगी थी । सामाजिक व्यक्ति होने के कारण उनके इशारे पर देश के हजारों नौजवान स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़ते थे । इस वजह से अंग्रेजी हुकूमत की नजर भी उन पर रहती थी ।

    महात्मा गांधी के प्रिय होने के कारण और सभी आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की वजह से अंग्रेजी हुकूमत ने चौधरी साहब को आठ बार जेल भेजा और काफी यातनाएं दीं । साल 1941 में चौधरी साहब की अगुवाई में क्रांतिकारियों ने बितरोई रेलवे स्टेशन में आग लगा दी । इस घटना के बाद वह बरेली कॉलेज के इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष चेत सिंह यादव के घर काफी समय तक रहे ।

वर्ष 1942 के आजादी आंदोलन में वह फिर सक्रिय हो गए । इससे अंग्रेजी हुकूमत घबरा गई और उन पर केस चलाकर उनको फांसी की सजा दी गई । आजादी के बाद में उनकी फांसी की सजा आजीवन कारावास में बदली। गुलामी के दिनों पर जेल में उनके साथ बर्बरता कम नहीं की गई ।

जब देश आजाद हुआ, तब सजा काटने के बाद कांग्रेस के नेताओं ने इन्हें लोकसभा का उम्मीदवार बनाया । चौधरी साहब लगातार दो बार यानि 1962 तक बदायूं से लोकसभा सदस्य रहे । जब अशक्त हो गए तो जनता की मांग पर अपनी एकमात्र पुत्री शांति देवी को विधान परिषद सदस्य, दो बार सहसवान विधानसभा की विधायक और फिर संभल लोकसभा से सांसद बनवाया । अपने पिता की तरह शांति देवी भी जनसेवा में ही जुटी रहीं ।

    वर्ष 2015 में स्थानीय सांसद रहे धर्मेंद्र सिंह यादव व सहसवान से विधायक व ग्राम्य विकास राज्यमंत्री रहे ओमकार सिंह ने जरीफनगर थाने के सामने चौधरी साहब की याद में पार्क बनवाया । यहां उनकी प्रतिमा भी लगवाई गई। फिलहाल जिले में यही उनकी याद में बना एकमात्र स्थल है। यह भी देखरेख के अभाव में बदहाल हो गया है ।

   चौधरी बदन सिंह बदायूं जिले के अग्रणी क्रांतिकारियों में शामिल थे । उन्होंने अंग्रेजी शासन में काफी यातनाएं झेलीं । आजादी के बाद जिले में शिक्षा व गरीबी उन्मूलन के काम किए । उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता ।                           


    - साभार