कवि, आल्हा सम्राट, श्याम चरित मानस के रचयिता सुल्तानपुर बनमई निवासी अवधी भाषा में भगवान श्रीकृष्ण पर आधारित श्याम चरित मानस की रचना करने वाले कवि माधव राम यादव जी का निधन हो गया, महान आत्मा को पुष्पांजलि, शब्दांजलि, श्रद्धांजलि ।
उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर की सदर तहसील के बनमई गांव में रहने वाले 73 वर्षीय माधवराम यादव (Born 1947) ने श्रीकृष्ण लीला पर श्लोक, छंद, सोरठा के साथ लगभग 1100 दोहों और 11000 चौपाइयों वाले महाकाव्य के रचनाकर
विमलकथा घनश्याम की, प्रगट करउ धरि ध्यान
श्याम चरिस मानस रखे नाम शंभु भगवान एवं
"धरि उर धीर लेखनी लेहूं । शंभु कृपा सब मिटै संदेहू ।"
कवि माधवदास यादव ने साढ़े चार साल में इस महाकाव्य को पूरा किया था । 2001 से ही उनके शरीर में कंपन की बीमारी हो गयी थी और वे लेखन के काम को नहीं कर पा रहे थे । इसे प्रभु कृपा ही कहें कि उन्होंने इस महाकाव्य को अनवरत सालों तक लिखा और लोगों के लिए श्रीकृष्ण चरित मानस की रचना की । कवि माधव दास अपने महाकाव्य को उस माधव (श्रीकृष्ण) की इच्छा मानते थे । भगवान श्रीकृष्ण को सत्य एव प्रेम ही प्रिय है । इस महाकाव्य में वर्णित सम्पूर्ण कथाओं का सार समाज में भक्ति, प्रेम, सत्य, न्याय, रीति, धर्म-कर्म, योग, भोग,जप-तप आदि के यथार्थ को समाहित करना था । इस कथा महाकाव्य में दोहों के बीच चौपाई की नौ लाइनें ही अंकित हैं इसके पीछे प्रेरणा भाव संख्या नौ की सर्वोच्चता का रहा है ।
नौ की संख्या का महत्व आदिकाल से चला आ रहा है इसी आधार से प्रकृति के नौ ग्रहों की तरंगों के आलोक में पूर्वांचल में लोकप्रिय फरूवाही, नटवरी, बिरहा और अन्य कई लोकगीतों की रचना माधवदास यादव ने की है । यूपी के कई जिलों में लोकनृत्य और लोकगीत गाने वाले कलाकार शास्त्री यादव, महंगूलाल पाल, रामपाल यादव बताते हैं कि प्रदेश में गाये जाने वाले 70 प्रतिशत गीत कवि माधवराम दास द्वारा ही लिखे हैं ।
सबसे आश्चर्य तो ये जानकर होता है कि मां सरस्वती के इस भक्त ने सिर्फ कक्षा 3 तक की ही पढ़ाई की है । इनके अनगिनत लोकगीत प्रचलन में हैं। श्याम चरित मानस के अतिरिक्त सेतु बंध रामश्वेरम और हनुमान कीर्ति (अप्रकाशित) की रचना इनके द्वारा की जा चुकी है । बचपन से ही लेखन का कार्य करने वाले माधवदास यादव ने कई रचनाएं की लेकिन इसे ईश्वीय इच्छा कहें कि ये कार्य कभी किसी लालसा-लालच वश नहीं किया । किसी सम्मान या पुरस्कार के अभी तक न मिलने के सवाल पर मुस्कुराते हुए उनका जवाब यही था कि हर कार्य ईश्वरीय इच्छा पर निर्भर होती है । जब प्रभु इच्छा होगी जो होना होगा हो जायेगा। भक्त, भक्ति का भूखा होता है, सम्मान का नहीं । अवधी भाषा में इनका योगदान आज के समय में अमूल्य है । क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का सुन्दर और पूजनीय प्रसंग लोगों के घरों में अवश्य पठनीय होगा ।
ऐसे महापुरुष, कवि, आल्हा सम्राट, श्याम चरित मानस के रचयिता सुल्तानपुर बनमई निवासी श्री माधव राम जी की आत्मा को पुष्पांजलि, शब्दांजलि, श्रद्धांजलि ।