उत्तर प्रदेश में यात्रियों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। राज्य के तीन प्रमुख एक्सप्रेस वे आगरा - लखनऊ एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर टोल टैक्स में बढ़ोतरी कर दी गई है। यह नई दरें वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए लागू की गई हैं, जो 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी हो गई हैं। इसके साथ ही नेशनल हाईवे पर भी टोल शुल्क में वृद्धि हुई है, जिससे यात्रियों और वाहन चालकों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ने वाला है।
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर नई दरें
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर सफर करने वाले वाहन चालकों को अब पहले से अधिक टोल टैक्स देना होगा।
कार, जीप, वैन और हल्के मोटर वाहनों के लिए पहले 655 रुपये का टोल शुल्क लिया जाता था, जो अब बढ़कर 665 रुपये हो गया है। यानी इस श्रेणी के वाहनों के लिए 10 रुपये की वृद्धि हुई है। इसके अलावा, अन्य श्रेणी के वाहनों जैसे हल्के व्यावसायिक वाहन, मिनी बस और भारी वाहनों के लिए भी टोल दरों में मामूली बढ़ोतरी की गई है। यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को ताज नगरी आगरा से जोड़ता है और प्रतिदिन हजारों वाहन इस मार्ग से गुजरते हैं।
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर टोल में इजाफा
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, जो लखनऊ से गाजीपुर तक 340 किलोमीटर लंबा मार्ग है, पर भी टोल टैक्स बढ़ा दिया गया है। इस मार्ग पर कार, जीप, वैन और हल्के मोटर वाहनों के लिए पहले 685 रुपये टोल देना पड़ता था, लेकिन अब यह राशि बढ़कर 700 रुपये हो गई है। यानी 15 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। यह एक्सप्रेसवे पूर्वी उत्तर प्रदेश को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करता है और इसका उपयोग बड़ी संख्या में यात्री और माल वाहक वाहन करते हैं। टोल में हुई इस वृद्धि से व्यवसायिक वाहन चालकों पर भी असर पड़ सकता है।
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर बढ़ा शुल्क
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर भी टोल टैक्स में बढ़ोतरी देखने को मिली है। इस मार्ग पर कार, जीप, वैन और हल्के मोटर वाहनों के लिए पहले 620 रुपये टोल शुल्क लिया जाता था, जो अब बढ़कर 635 रुपये हो गया है। इसमें 15 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। बुंदेलखंड क्षेत्र को विकास से जोड़ने वाला यह एक्सप्रेसवे स्थानीय लोगों और व्यवसायियों के लिए महत्वपूर्ण है। टोल दरों में यह बदलाव यात्रियों के बजट को प्रभावित कर सकता है।
नेशनल हाईवे पर भी बढ़ोतरी
एक्सप्रेसवे के अलावा उत्तर प्रदेश में नेशनल हाईवे पर भी टोल टैक्स में 5 रुपये से लेकर 30 रुपये तक की बढ़ोतरी की गई है। यह वृद्धि वाहन के प्रकार और हाईवे के हिसाब से अलग-अलग है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने इस बढ़ोतरी को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए लागू किया है, जो 1 अप्रैल की मध्यरात्रि से प्रभावी हो गया है। इस बदलाव से निजी वाहन चालकों के साथ-साथ ट्रांसपोर्ट कंपनियों पर भी अतिरिक्त खर्च का बोझ पड़ेगा, जिसका असर माल भाड़े और रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों पर पड़ सकता है।
बढ़ोतरी का कारण और प्रभाव
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) और एनएचएआई द्वारा टोल टैक्स में यह बढ़ोतरी आमतौर पर रखरखाव, संचालन लागत और थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में बदलाव के आधार पर की जाती है। हर साल की तरह इस बार भी नई दरों को लागू करने से पहले बोर्ड की बैठक में मंजूरी दी गई। हालांकि, यह बढ़ोतरी मामूली लग सकती है, लेकिन नियमित यात्रियों और व्यवसायिक वाहन चालकों के लिए यह एक अतिरिक्त खर्च का कारण बनेगी। ट्रकों और माल वाहनों के टोल में वृद्धि से परिवहन लागत बढ़ सकती है, जिसका असर अंततः बाजार में वस्तुओं की कीमतों पर भी पड़ सकता है।
यात्रियों की प्रतिक्रिया
इस बढ़ोतरी को लेकर यात्रियों और वाहन चालकों में मिश्रित प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। जहां कुछ लोग इसे सड़क सुविधाओं के रखरखाव के लिए जरूरी मान रहे हैं, वहीं कई लोगों का कहना है कि बार-बार टोल टैक्स बढ़ने से उनकी जेब पर बोझ बढ़ रहा है। खासकर उन लोगों के लिए जो रोजाना इन मार्गों का उपयोग करते हैं, यह बदलाव चिंता का विषय बन सकता है।
सलाह
यूपीडा और एनएचएआई ने वाहन चालकों को सलाह दी है कि वे नई टोल दरों के अनुसार अपनी यात्रा की योजना बनाएं। साथ ही, टोल प्लाजा पर समय और ईंधन की बचत के लिए फास्टैग का उपयोग करने की सिफारिश की गई है। यह बदलाव उत्तर प्रदेश में सड़क यात्रा को थोड़ा महंगा जरूर बना देगा, लेकिन बेहतर सड़क सुविधाओं के लिए यह कदम जरूरी भी माना जा रहा है।
इस तरह, वित्तीय वर्ष 2025-26 में टोल टैक्स की नई दरें लागू होने से उत्तर प्रदेश के प्रमुख मार्गों पर सफर पहले की तुलना में महंगा हो गया है। यात्रियों को अब अपने बजट में इस बदलाव को शामिल करना होगा।
Edited by Hari Bhan Yadav